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Rice Soils Rice Soils
Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 16:04
सिंचाई जल का प्रबंधन
1. चूंकि सिंचाई जल के स्रोत चावल के किसानों के लिए काफी तेजी से सिकुड़ते जा रहे हैं, ऐसे में कम पानी की आवश्यकता वाली चावल किस्मों के विकास के लिए अनुसंधान कार्यक्रमों को चलाने की आवश्यकता है।
2. ऐरोबिक रास कल्चर, जो कि एक जल की कमी वाली चावल उत्पादन प्रणाली है, कुछ देशों में उपयोग में लाई जा रही है।
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DRR टेक्निकल बुलेटिन नं. 11, 2004-2005, एम. नारायण रेड्डी, आर. महेन्दर कुमार तथा बी. मिश्रा, चावल आधारित फ़सल प्रणाली हेतु स्थल-विशिष्ट समेकित पोषण प्रबंधन
Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 16:02
जीनोटाइप
1. जीनोटाइप का विभेद राइजोस्फेयर के अम्लीकरण के लिए तथा निम्न P परिवेश में एसिड फॉस्फेट के जरिए P के निष्कर्षण में मौजूद रहता है।
2. उच्च उपज वाली किस्में (HYV) सामान्यतः पोषण अनुप्रयोग के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील रहती हैं। ये भी मृदा तथा पोषण के उर्वरक स्रोत, खासकर नाइट्रोजन के आपेक्षिक प्रयोग में अंतर प्रदर्शित करती हैं।
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DRR टेक्नीक बुलेटिन नं. 11, 2004-2005, एम.नारायण रेड्डी, आर. महेन्द्र कुमार एंड बी. मिश्रा, साइट स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड न्युट्रिएंट मैनेजमेंट फॉर सस्टेनैबल राइस बेस्ड क्रॉपिंग सिस्टम
Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 16:01
मिट्टी की सुधार और औद्योगिक कचड़े
1. उच्च pH मान वाले सोडिक मिट्टी के लिए 10-12 टन/हे. जिप्सम के प्रयोग और 1-2 टन/हे. अम्लीय सल्फ़ेट मिट्टी के लिए प्रयोग करने से P, Zn, Ca और K जैसे अनेक पोषक तत्त्वों असर अधिक कारगर होता है।
2. स्टील उद्योग में उपलब्ध पाइराइट (FeS ) और प्राकृतिक रूप से मिलने वाले खनिजों का चूनायुक्त मिट्टी में प्रयोग करने से उसका वही असर होता है जो जिप्सम के इस्तेमाल से होता है।
3. चावल के लिए जिप्सम/पाइराइट S के भी अच्छे श्रोत होते हैं।
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DRR टेक्निकल बुलेटिन नं. 11, 2004-2005, एम. नारायण रेड्डी, आर. महेन्दर कुमार तथा बी. मिश्रा, चावल आधारित फ़सल प्रणाली हेतु स्थल-विशिष्ट समेकित पोषण प्रबंधन
Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 15:59
सस्ते पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करने वाला खनिज
1. चट्टानी फॉस्फेट के जरिए फसल को फॉस्फोरस उपलब्ध कराने को अधिक महत्व देना चाहिए।
2. उदासीन/क्षारीय मिट्टियों में अम्लीकृत चट्टानी फॉस्फेटों का इस्तेमाल और अम्लीय मिट्टी में चट्टानी फॉस्फेट का सीधा इस्तेमाल P के इस्तेमाल पर होने वाले खर्चे को बचाता है।
3. इसी प्रकार, सल्फर के श्रोत के रूप में फॉस्फोजिप्सम/पाइराइट के इस्तेमाल से S ऊर्वरक पर होने वाले खर्चे को कम किया जा सकता है।
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Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 15:55
फसल के अवशेष
1.HYVs में बचे हुए दाने और पुआल का अनुपात 2:3 होता है, भारत में लगभग 300 मिट्रिक टन पुआल का उत्पादन होता है।
2. इसमें से आधा मवेशियों को खिलाने के चारे के रूप में किया जाता है। बाकी बचे आधे भाग को मिट्टी और पौधे के लिए उपयोगी होने के कारण रिसाइकिल किया जा सकता है।
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फसल प्रणाली/फसल चक्रण
1. पोषक तत्त्वों के कुशल प्रयोग की दृष्टि से फसल प्रणाली/फसल चक्रण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि अलग-अलग फसलों के लिए पोषण की जरूरत अलग-अलग होती है और साथ ही फसलों की मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता भी समान नहीं होती।
2. चावल-चावल प्रणाली(अवायुजीवी-अवायुजीवी) को फिनॉल से भरपूर कठिनाई से अपघटित होने वाले कार्बनिक पदार्थ के निर्माण के लिए जाना जाता है और इस प्रक्रिया में ढेरों नाइट्रोजन बन्द रहता है।
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वर्मीकम्पोस्ट - vermicompost
1. केंचुआ (Eisenia foetida, Perionics excavateus) व्यापक प्रकारों के कृषि अपशिष्टों पर पलते हैं।
2. अपशिष्टों को पीसकर छोटे-छोटे टुकड़ों में करने के अलावा उनकी आंतों (बायो रिएक्टर) में अंतर्ग्रहित अवशेषों /अपशिष्टों के एन्जाइमीय विघटन होता है।
3. केंचुए द्वारा निकले गए पदार्थ प्रभावी बायोफर्टिलाइजर होते हैं जिनमें खनिज और ह्यूमस की उच्च मात्रा होती है।
4. पदार्थ की प्रकृति के अनुसार वर्मीकम्पोस्ट में 2-3 % N, 1-1.5 % P2O5 और K2 O पाए जाते हैं।
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Vesicular Arbuscular Mycorrhiza (VAM): (Endomychorrhiza) – वेसिक्युलार आर्बस्क्युलार मैकोरैजा (वाम) (एनडोमैकोरैजा)
1. ये एनडोजीनेसी(Glomus etunicatum, G. agrocarpus) फैमिली से संबंधित कवक हैं जो कई प्रकार के कृषि फसलों के ओब्लीगेट रूट सिम्बायोसिस के रूप में पाए जाते हैं।
2. क्रुसिफेरेसी और किनोपोडीएसी वर्ग के पौधों को छोड़कर अन्य अनेक प्रकार के पौधों की जड़ों में ये कवक वेसिकल्स और अर्बस्कुलेस का संक्रमण और विकास करते हैं।
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फॉस्फेट को घुलाने वाले सूक्ष्मजीवी
1. फोस्फेट घुलनकारी सूक्ष्मजीवी परपोषी सूक्ष्मजीवियों का ऐसा समूह है जिनमें जीवाणुओं की अधिकता होती है और उनमें से बहुत कम ऐसे होते हैं जिनमें अपने क्षारीय/अम्लीय फॉस्फेटेज द्वारा अघुलनशील जैव पदार्थों और जैव फॉस्फोरस के श्रोतों को घुलन योग्य या उनका खनिजीकरण करने की क्षमता होती है।
2. साइट्रिक, फ्युमरिक,मैलिक और अन्य कार्बनिक अम्लों के उत्पादन द्वारा अजैविक P को घुलाया जाता है और जैविक P अम्लीय और क्षारीय एंजाइमों के उत्पादन द्वारा खनिजीकृत किया जाता है।
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एजोला - Azolla
1. एजोला जल में मुक्त रूप से प्लवन करने फर्न है जिसके पत्ते में डायजोट्रोफिक साइनोबैक्टीरिया एनाबेना एजोला पाए जाते हैं।
2. 6-8% लिग्निन वाले एजोला के सड़ने और उसके अपघटन से नाइट्रोजन धीमी गति से मुक्त होता है।
3. pH मान 5.0 – 7.2 वाले स्थिर जल की 10-15 सेमी गहराई, 20-250C तापमान और फास्फोरस की उच्च मात्रा वृद्धि और N-स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है।
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एजोस्पिरिलियम - Azospirillum
1. एजोस्पिरिलियम एक सहचारी डाइजोट्रोफिक जीवाणु है जो जड़ों में ढीले तरीके से लटके रहते हैं और माइक्रोएरोफिलिक स्थिति में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं।
2. उदासीन और क्षारीय मिट्टी इसकी वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं।
3. बिचड़े वाले खेत में 600 ग्राम/हे. और मुख्य खेत में 2 किग्रा/हे. एजोस्पिरिलियम डालने से प्रति हे. लगभग 20-30 किग्रा. नाइट्रोजन की प्राप्ति होती है।
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नील-हरित शैवाल
1. नील-हरित शैवाल(BGA)/साइनोबैक्टीरिया मुक्त रूप से जीने वाले, प्रकाशसंश्लेषी, N-स्थिरीकारक प्रोकैरियोटिक शैवाल होते हैं जो धान के खेतों में सर्वत्र पाए जाते हैं।
2. नील-हरित शैवाल की N-स्थिरीकारी क्षमता उदासीन और क्षारीय मिट्टियों में बेहतर होती है। उन्हें पर्याप्त प्रकाश, जल (5-10 सेमी उपयुक्त रहता है) और P द्वारा कुछ हद तक क्षारीय मिट्टी को रिक्लेम भी किया जा सकता है।
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Contributed by rkmp.drr on Fri, 2011-08-19 15:27
जैव-ऊर्वरक
1. कम इनपुट वाले पर्यावरण के लिए ये सबसे अच्छे होते हैं।
2. सिंचित चावल के लिए मुख्य रूप से तीन N-स्थिरीकरण तंत्र होते हैं- नील-हरित शैवाल, एजोला(सिम्बायोटिक) और एजोस्पिरिलम(एसोसिएटिव)
3. फॉस्फेट घुलाने वाले सूक्ष्मजीवी भी सिंचित चावल के लिए उपयोगी होते हैं जबकि एंडोमाइकोरिज़ा ( endomycorrhiza) का उपयोग चावल से इतर बिना बाढ़ वाले तंत्र के लिए किया जाता है।
4. जैव-ऊर्वरक की 1 मि.टन की तुलना में मौजूदा सप्लाय 0.01 मि.टन से कम है।
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हरित खाद
1. हरित खाद(GM) का प्रयोग 6 m/ हे. किया जाता है जबकि आवश्यकता 25 m/ हे. की होती है।
2. हरे पत्तों की खाद आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है क्योंकि पत्तों को जमा करने में काफी अधिक मजदूरी व्यय करना होता है और फिर पत्तों की भी कमी रहती है।
3. मूलतः हरित खाद के लिए उगाई जाने वाली फसलें 45 दिनों के में पर्याप्त बायोमास उपलब्ध कराती हैं।
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Contributed by rkmp.drr on Mon, 2011-08-08 15:46
जैविक खाद
1. जैविक में मुख्य रूप से आते हैं पौधों और जंतुओं के अवशेष।
2. फार्म यार्ड मैन्योर (FYM) और कम्पोस्ट (शहरी और ग्रामीण) मुख्य जैविक खाद हैं।
3. गावों(800 मिट्रिक टन) में कम्पोस्ट के निर्माण की क्षमता शहरों (16 मिट्रिक टन) की तुलना बहुत अधिक होता है। हालांकि,वर्तमान में केवल 10 मिट्रिक टन शहरी/ग्रामीण कम्पोस्ट का उत्पादन होता है।
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अजैविक/रासायनिक ऊर्वरक
1. बाहर से दिए जाने वाले पोषण का ऊर्वरक मुख्य श्रोत है। करीब 16 मिट्रिक टन NPK का इस्तेमाल किया जाता है जिसका 40% चावल की खेती में प्रयुक्त होता है।
2. NPK ऊर्वरकों का असंतुलित इस्तेमाल (4:2:1 की बजाए 9.5:2.7:1) एक आम बात है।
3. नाइट्रोजन के कारण होने वाली भूमि उर्वरता के असंतुलन के कारण मिट्टी में Zn, S, Mn और Cu की कमी होती है।
4. चावल की फसल में NPK उर्वरकों के मुख्य श्रोत इस प्रकार हैं: DAP- बेसल डोज के रूप में, यूरिया- टॉप ड्रेसिंग के रूप में और साथ ही जिंक सल्फ़ेट।
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पौधों के पोषण के बाह्य स्रोत
पौधों के पोषण के बाह्य स्रोतों में निम्नलिखित आते हैं
1. रासायनिक ऊर्वरक
2. जैविक खाद
3. फसल के अवशेष भाग
4. हरित खाद और हरे पत्तों की खाद
5. जैव-ऊर्वरक
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मिट्टी की उर्वरता (Soil fertility) मिट्टी की उर्वरता
1. मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्त्व खनिज और जैव श्रोतों से प्राप्त होते हैं।
2. धनायनिक पोषक तत्त्व(NH4 + , Ca ++ और K + इत्यादि ) ऋणायनिक मृदा कणों में स्थित रहते हैं और ऋणायनिक पोषक तत्त्वों ( NO 3 - ,SO4 - - और Cl - ) के साथ संघात करते हैं जिसकारण वे बाढ़ या भारी वर्षा की स्थितियों में रिसकर जमीन के अन्दर चले जाते हैं।
3. बाहर से खाद डालने की जरूरत को निर्धारित करने में मिट्टी की उर्वरता (पौधों के लिए मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्व ) एक महत्वपूर्ण निर्णायक कारक होती है।
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समेकित पोषण प्रबंधन- 1. INM के घटक INM की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. पोषण प्रदान करने की मिट्टी की अपनी क्षमता /मिट्टी की उर्वरता
2. अजैविक ऊर्वरक
3. जैविक खाद
4. हरित खाद
5. जैव-ऊर्वरक
6. फसल के अवशेष
7. फसल प्रणाली/फसल चक्र
8. पोषण देने वाले सस्ते खनिज (पाइराइट/चट्टानी फॉस्फेट)
9. मिट्टी की सुधार और औद्योगिक अपशिष्ट
10. फसल के दक्ष जीनोटाइप
11. सिंचाई जल और
12. IPM
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Contributed by rkmp.drr on Mon, 2011-08-08 15:30
बाढ़ वाला चावल पारितंत्र
1. बाढ़ वाला चावल पारितंत्र दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाए जाते हैं जिनकी विशेषता है जोरदार बाढ़ और सूखे की स्थिति।
2. उपज कम और अनिश्चित होती है। जून से नवंबर के बीच मौसम आर्द्र रहता है और चावल की किस्मों का चयन पानी में डूबे होने की उनकी सहनशीलता के आधार पर किया जाता है।
File Courtesy:
http://www.rice-trade.c om/rice-eco-system.html
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